भोपाल से पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के लिव इन में पराए पुरुषों और महिलाओं को लेकर दिए गए बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि मां-बाप बच्चों को संस्कार नहीं दे पाते तो बच्चियां अर्धनग्न दिखाई देती है।
साध्वी प्रज्ञा 31 जुलाई को मालेगांव ब्लास्ट केस से बरी होने के बाद वृंदावन पहुंची। उन्होंने वृंदावन में गौरी गोपाल आश्रम पहुंचकर कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से मुलाकात की। इस दौरान प्रज्ञा ठाकुर के साथ उनकी बहन उपमा सिंह ठाकुर भी मौजूद थीं।
प्रज्ञा ने कहा- ऐसे परिदृश्य से दुराचार भी बढ़ते हैं
प्रज्ञा ने अनिरुद्धाचार्य से कहा कि मैं मानती हूं कि आपने जो कहा, वह समाज की स्थिति को स्पष्ट करता है। आपने अपनी बात आत्मविश्वास से कही है। आपने कोई बात मन से नहीं बनाई, मैं आपकी बात का समर्थन करती हूं। उन्होंने कहा कि जब समाज में ऐसे परिदृश्य बढ़ने लगते हैं, तो दुराचार की घटनाएं भी बढ़ती हैं।
माता-पिता बच्चों को मर्यादा और संस्कार नहीं सिखा पाते। नतीजा यह होता है कि जब लड़कियां स्कूल-कॉलेज जाती हैं, तो कई बार वे अर्धनग्न दिखाई देती हैं। माताओं को बेटियों को मर्यादा सिखानी चाहिए, लेकिन साथ ही बेटों को भी यह शिक्षा दी जानी चाहिए।
बेटा-बेटी दोनों पर लागू हों अनुशासन के नियम
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, “बेटों से भी पूछा जाना चाहिए कि वे कितने बजे घर आएंगे, जैसे कि बेटियों से पूछा जाता है। घर लौटने का समय एक अनुशासन है, जिसे सभी को मानना चाहिए। जो नियम घर में बनाए गए हैं, उनका पालन जरूरी है। अगर माताएं-बेटियां और पिता-बेटों को नहीं सिखाएंगे तो समाज में फैल रही विकृति और बढ़ती पाश्चात्य सोच के कारण रिश्तों की पहचान तक मुश्किल हो जाएगी
इस दौरान कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने बीच में कहा – “लिव-इन…”। प्रज्ञा ठाकुर ने उन्हें टोकते हुए कहा, “जो भी हो, हमारे शब्दों की एक मर्यादा है। भले ही कोर्ट कुछ भी कहे, लेकिन ऐसी बातें सनातन धर्म में स्वीकार्य नहीं हैं, इसलिए हम उनका विरोध करते हैं।
संयुक्त परिवार बच्चों के विकास के लिए जरूरी
प्रज्ञा ठाकुर ने कहा, “संयुक्त परिवार की परंपरा केवल भारत में ही है और कहीं है ही नहीं। बडे़ सुगठित, संस्कारित, सम्मिलित परिवार गुजरात में इसके अच्छे उदाहरण हैं। जहां अधिकतर परिवार संयुक्त रूप से रहते है
उत्तर प्रदेश और राजस्थान में भी कुछ उदाहरण हैं, लेकिन कई राज्य इस मामले में पिछड़े हैं, जहां लोग अकेले रहना पसंद करते हैं।” उन्होंने कहा, संयुक्त परिवार न केवल हमारी संस्कृति को संजोता है, बल्कि बच्चों के सर्वांगीण विकास में भी सहायक होता है।
लिवइन रिलेशन पर दिया था अनिरुद्धाचार्य ने बयान
पिछले महीने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य का लिव इन रिलेशनशिप को लेकर एक बयान सामने आया था जिसमें उन्होंने कहा था- अब लड़कियां लाते हैं 25 साल कीं, अब 25 साल की लड़की चार जगह वो मुंह मार चुकी होती है। सब नहीं पर बहुत और 25 साल की होकर जब आतीं हैं तो वह पूरी जवान होकर आती हैं।
जब जवान होकर आएगी तो स्वाभाविक है कि वो अपनी जवानी कहीं न कहीं तो फिसल जाएगी या जाएगी जैसे कि अभी एक लड़के के संग हनीमून मनाने गई परंतु किसी और के साथ वो रह चुकी थी। उसके साथ चक्कर था वो ड्रम वाला केस अभी ज्यादा पुराना हुआ नहीं।
