शिक्षक दिवस के मौके पर नरसिंहपुर जिले का सिंहपुर बड़ा गांव पूरे प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के लिए प्रेरणा बनकर सामने आता है। करीब 5 हजार की आबादी वाले इस गांव में लगभग 800 शिक्षक रहते हैं।
यहां के अधिकतर घरों में कम से कम एक शिक्षक जरूर है। चार-पांच पीढ़ियों से यह परंपरा निरंतर चली आ रही है। यहां की परंपरा बताती है कि शिक्षा ही वह ताकत है, जो समाज को आगे बढ़ाने और नई दिशा देने में सक्षम है।
शर्मा परिवार में पीढ़ियों से चल रही शिक्षक बनने की परंपरा
गांव में कई परिवार पूरी तरह से शिक्षण कार्य से जुड़े हैं। शर्मा परिवार इनमें सबसे प्रमुख है। इस परिवार के 15 से अधिक सदस्य शिक्षक हैं। स्व. महेंद्र दत्त शर्मा, स्व. ज्वाला प्रसाद शर्मा और स्व. हरदयाल शर्मा शिक्षक थे। उनके छोटे भाई जेपी शर्मा हायर सेकेंडरी स्कूल के प्रिंसिपल रह चुके हैं। परिवार की अगली पीढ़ी में भी सभी पुत्र, पुत्रवधुएं और प्रपौत्रवधु शिक्षण कार्य कर रहे हैं।
पांच शिक्षकों को राष्ट्रपति सम्मान
गांव के पांच शिक्षकों को उनकी उत्कृष्ट सेवाओं के लिए राष्ट्रपति सम्मान मिल चुका है। शेख नियाज मुहमद को 1961 में, महेशचंद्र शर्मा और बी.एल. बुनकर को 1991 में, नरेंद्र शर्मा को 1995 में यह सम्मान मिला। मोतीलाल मेहरा भी इस सम्मान से सम्मानित हो चुके हैं।
स्थानीय शिक्षिकाएं भी परंपरा को आगे बढ़ा रही
स्थानीय शिक्षिका आशीर्वाद शर्मा कहती हैं कि उनके माता-पिता भी यहीं के शिक्षक थे। वह स्वयं भी यहीं पढ़ी हैं और अब यहां पढ़ा रही हैं। शिक्षिका प्रज्ञा दुबे बताती हैं कि उन्हें उनके दादा, नाना और परिवार के अन्य सदस्यों ने पढ़ाया। अब वह यहां अंग्रेजी की अध्यापिका हैं। बृजेश शर्मा के अनुसार गांव में बच्चों को बचपन से ही अनुशासन के साथ शिक्षा दी जाती है। इसी कारण यहां का शैक्षिक स्तर लगातार उच्च बना हुआ है।
1995 में राष्ट्रपति सम्मान मिलने पर गांव में छाया था जश्न
गांव के वरिष्ठ शिक्षक नरेंद्र शर्मा, जिन्हें 1995 में राष्ट्रपति सम्मान मिल चुका है, उन्होंने दैनिक भास्कर से बातचीत में उस गौरवशाली पल को याद किया। उन्होंने बताया कि जब सम्मान की सूचना मिली तो पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ गई थी। साथी शिक्षक और बच्चे उन्हें माला पहनाने लगे। उन्होंने साफ कहा था कि किसी तरह का खर्च नहीं करेंगे, केवल फोटो का खर्च देंगे।
नरेंद्र शर्मा ने बताया कि उस समय गांव की बुनियादी पाठशाला में वैदिक ज्ञान से लेकर आधुनिक विषयों तक की पढ़ाई होती थी। उन्होंने कहा कि हमारे गांव में शिक्षक बनने का हमेशा से शौक रहा है और शिक्षकों को समाज में विशेष सम्मान दिया जाता है।

