
कोरबा। कहते हैं, सच्चा जज़्बा उम्र का मोहताज नहीं होता। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं छत्तीसगढ़ के छोटे से शहर कोरबा के महज़ 17 वर्षीय धैर्य रोहरा। कम उम्र में ही उन्होंने ऐसा अनोखा काम किया है, जिसकी गूंज अब पूरे देश में सुनाई दे रही है।धैर्य ने स्वतंत्र और छोटे पत्रकारों की सबसे बड़ी समस्या को समझा — अपनी ख़बरों को दुनिया तक पहुँचाने का मंच। अक्सर महँगे पोर्टल और तकनीकी दिक़्क़तों के चलते कई पत्रकार पीछे रह जाते थे। इस चुनौती को अवसर में बदलते हुए धैर्य ने सबसे कम कीमत पर न्यूज़ पोर्टल बनाने की शुरुआत की।उनकी इस पहल से अब तक हज़ारों पत्रकारों को डिजिटल दुनिया में अपनी पहचान बनाने का मौका मिला है। छोटे शहरों और गाँवों के पत्रकार भी अपनी ख़बरें और अपनी आवाज़ देश-दुनिया तक पहुँचा पा रहे हैं। धैर्य का यह कदम पत्रकारों के लिए सिर्फ़ तकनीकी मदद नहीं, बल्कि लोकतंत्र की सच्ची ताक़त को मज़बूत करने की दिशा में बड़ा प्रयास है।धैर्य रोहरा का मानना है कि पत्रकारिता जनता की सच्ची आवाज़ है, और हर पत्रकार को बिना किसी बाधा के यह अधिकार मिलना चाहिए। उन्होंने अपने जज़्बे और मेहनत से दिखा दिया कि कम साधनों से भी बड़ा बदलाव लाया जा सकता है।आज उनकी सोच और लगन के कारण कोरबा का नाम राष्ट्रीय स्तर पर रोशन हो रहा है। धैर्य न सिर्फ़ युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं, बल्कि उन हज़ारों पत्रकारों के लिए भी उम्मीद की किरण बने हैं, जो अब खुलकर अपनी बात कह पा रहे हैं।
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