ग्वालियर के कुक के खाते में आए 46 करोड़: बोला- ढाबे में खाना पकाता हूं, आयकर विभाग ने नोटिस दिया; बताया कैसे फंसा

भिंड के रहने वाले एक कुक के अकाउंट से 46 करोड़ रुपए का ट्रांजेक्शन हुआ है। यह बात आयकर विभाग के दिए गए नोटिस के बाद सामने आई है। नोटिस मिलने के बाद पीड़ित पुणे से नौकरी छोड़कर वापस घर आया। उसका कहना है कि मैं ढाबे में काम करता हूं, मेरे अकाउंट में साल के तीन लाख रुपए का भी लेन-देन नहीं हुआ, ऐसे में करोड़ों रुपए का नोटिस कैसे आ गया।

परिचित वकील की मदद से एक महीने से ज्यादा समय तक पड़ताल करने के बाद पता चला कि 7 साल पहले एक टोल कंपनी में काम के दौरान वहां के सुपरवाइजर ने दिल्ली में एक अकाउंट खुलवाया था, इसी से पूरा फर्जीवाड़ा हुआ है। उसने खाता बंद करवाने की बात भी कही, लेकिन कोई और उसका उपयोग करता रहा। पीड़ित ने इसकी शिकायत थाने में भी की है। दैनिक भास्कर ने पीड़ित से बात की और जाना की वह झांसे में आया कैसे… पढ़िए रिपोर्ट…

भिंड के गांधी नगर में रहने वाले रविंद्र सिंह चौहान ने बताया…

परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, इसलिए 6वीं के बाद पढ़ाई से दूर होना पड़ा। पहले छोटे-मोटे काम कर लिया करता था। खाना बनाने का शौक था, इसलिए वही काम करने लगा। अभी ग्वालियर में एक ढाबे पर कुकिंग का काम करता हूं।

6 जुलाई 2017 की बात है। मैंने ग्वालियर बायपास स्थित पथ कंपनी के टोल प्लाजा पर रसोइया के हेल्पर के रूप में काम शुरू किया। कंपनी 10 हजार रुपए महीना दे रही थी। सालभर बाद 2018 में जून महीने में बिहार के बक्सर जिले के रहने वाले ​शशिभूषण राय सुपरवाइजर बनकर आया।

मेरा काम रसोई का था, इसलिए शशिभूषण से बातचीत हो जाया करती थी। धीरे-धीरे उसने मुझसे नजदीकी बढ़ा ली। उस पर भरोसा कर मैंने अपनी पारिवारिक स्थिति उसे बता दी। करीब 7 महीने बीत चुके थे। एक दिन मैंने उसे कहा कि रुपयों की जरूरत है। कई बार तो ऐसी स्थिति बन जाती है कि परिवार का खर्च उठाना मुश्किल हो जाता है। अभी भी हाथ बहुत तंग हैं।

यह बात सुनकर उसने कहा- कंपनी से तुम्हारा पीएफ कटता है। तुम उसे निकाल लो, तुम्हारा अभी का काम निकल जाएगा। मुझे पैसों की जरूरत थी, इसलिए मैंने तत्काल हामी भर दी, लेकिन मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं थी। मैंने शशिभूषण से कहा-आप मेरी मदद कर दो।

मेरे मदद मांगते ही उसने अपना शातिर दिमाग लगा लिया। बोला- पीएफ के लिए नया अकाउंट खुलवाना होगा। मैंने बताया कि भिंड में मेरा एक खाता है, इसी में कंपनी की सैलरी आती है। इस पर उसने कहा- पीएफ के लिए नया अकाउंट खुलवाना होगा। इतना ही नहीं जो नया अकाउंट खुलवाओगे, कंपनी के कुछ इंसेंटिव होते हैं, जिसका फायदा समय-समय पर तुम्हें मिलता रहेगा।

यानी हर महीने पांच से 10 हजार रुपए तक की अतिरिक्त इनकम हो जाएगी। मैंने भी अलग अकाउंट खुलवा रखा है। मुझे इसका फायदा भी मिल रहा है। बस, अकाउंट दिल्ली चलकर खुलवाना पड़ेगा। हर महीने अलग से रुपए आने का सुनकर मैं लालच में आ गया और उसकी बातों में आकर नया अकाउंट खुलवाने को तैयार हो गया।

मुझे नहीं पता था कि वह मेरे अलावा कंपनी के कुछ और लड़कों के साथ भी यही खेल खेल रहा है। उसकी बातों में आकर हम 4 लड़के 12 नवंबर 2019 को दिल्ली पहुंचे। उसने पहले हमें दिल्ली घुमाया, फिर एक बड़ी सी होटल में रुकवाया। अगले दिन सभी को बैंक ले जाकर खाता खुलवा दिया। हम सभी टोल प्लाजा पर काम करते थे, लेकिन एक-दूसरे से ज्यादा जान पहचान नहीं थी।

रुपए नहीं आए तो खाता बंद करवाने बैंक गया


करीब 8 आठ महीने बीत गए। न तो पीएफ का पैसा आया, न कोई एक्ट्रा इनकम हुई। मुझे लगा कि कोई फायदा नहीं हो रहा है तो फिर अकाउंट खोलकर रखने का क्या मतलब। मैं दिल्ली पहुंचा और अकांउट बंद करवाने के लिए बैंक अधिकारी से मिला। वहां मुझे बताया गया कि अकाउंट बंद करवाने के लिए आपको जीएसटी शाखा की पर​मिशन लगेगी।

यह बात मेरे समझ नहीं आई तो मैं शशिभूषण से मिला और अकाउंट बंद करवाने के लिए कहा। उसने कहा- मैं करवा देता हूं। उसी ने खुलवाया था, इसलिए बंद करवाने की बात कही तो मैंने उस पर भरोसा कर लिया। फरवरी 2022 में पता चला कि नौकरी छोड़कर शशिभूषण बिहार वापस चला गया। 2023 में कंपनी का टोल प्लाजा का टाइम पूरा हुआ तो मेरी नौकरी भी चली गई।

काम करने पुणे गया, घर पर दो बार आ गया नोटिस
रोजी-रोटी की तलाश में पुणे पहुंचा और यहां एक कंपनी में काम करने लगा। 9 अप्रैल 2025 को घर पर एक कागज आया, जो अंग्रेजी में था। घर पर पत्नी और बच्चे थे। न मैं ज्यादा पढ़ा-लिखा हूं न पत्नी। हमारे समझ में तो कुछ आया नहीं, इसलिए हम बात को भूल गए।

25 जुलाई को फिर से उसी प्रकार का कागज आया। परिवार ने फोन पर इसकी जानकारी दी। मुझे लगा, आखिर यह क्या है, और बार-बार क्यों आ रहा है। एक बार घर जाकर पता करता हूं। मैं पुणे से वापस घर लौट आया। मोहल्ले में ही रहने वाले परिचित वकील प्रद्युम्न सिंह भदौरिया के पास पहुंचा। उन्हें कागज दिखाया, इस पर उन्होंने बताया कि यह आयकर का नोटिस है। यह सुनते ही मेरे हाथ-पैर फूल गए।

पता चला खाते से 46 करोड़ का लेन-देन हुआ
नोटिस के कारण मैं बहुत घबरा गया था। मेरी हालत देखकर वकील प्रद्युम्न सिंह ने मेरी मदद की। उन्होंने ग्वालियर आयकर विभाग में संपर्क कर यह पता लगाया कि नोटिस असली है या नकली। वहां से पता चला कि नोटिस असली है। यह भी बताया गया कि उक्त व्यक्ति द्वारा व्यापार जो किया गया है, ​उसी संबंध में नोटिस दिए जा रहे हैं।

वकील भदौरिया मेरे साथ भिंड में बैंक पहुंचे। यहां खाते की जानकारी निकलवाई तो पाया कि मेरे खाते में तो तीन साल में तीन लाख से भी कम का लेनदेन हुआ है। खाते में कम लेन-देन और करोड़ों का नोटिस। ऐसे में वकील भदौरिया मेरे साथ ग्वालियर पहुंचे और यहां बैंक प्रबंधक से मदद मांगी।

उन्होंने बताया कि रविंद्र के नाम से बैंक में दो अकाउंट हैं। एक भिंड, दूसरा दिल्ली में। दिल्ली वाला अकाउंट किसी शौर्या ट्रेडिंग कंपनी से जुड़ा है। इसी खाते से 46 करोड़ तक का ट्रांजेक्शन हुआ है। अभी में इस अकाउंट में करीब 13 लाख रुपए जमा हैं। दिल्ली में अकाउंट की बात सामने आने पर सुपरवाइजर शशिभूषण राय के साथ हुए घटनाक्रम का जिक्र वकील से किया। इसके बाद ग्वालियर के सिरौल थाने पहुंचे और पुलिस से शिकायत की।

शशिभूषण बोला- मेरे साथ भी धोखाधड़ी हुई है
रविंद्र ने पूरे मामले में शशिभूषण पर आरोप लगाए हैं, ऐसे में दैनिक भास्कर ने शशिभूषण राय से भी फोन के जरिए संपर्क किया। वह अभी पटना (बिहार) में एक प्राइवेट कंपनी में काम कर रहा है। उसका कहना है कि 2018 में दिल्ली के द्वारिका नगर एरिया में एक कंपनी में काम करने गया था। दिल्ली में दो महीने काम किया, बाद में भिंड काम करने आ गया था।

रविंद्र समेत कुछ लोग कहते थे कि अच्छा पैसा मिले तो हम कहीं और भी जाकर काम कर लेंगे, इसलिए मैंने इन्हें दिल्ली में काम करने भेज दिया था। मैंने इनका अकाउंट नहीं खुलवाया। इनके साथ क्या हुआ मुझे नहीं पता। मेरे साथ तो खुद धोखाधड़ी हुई है। उक्त कंपनी द्वारा मेरे अकाउंट का फर्जी तरीके से उपयोग किया गया है। मैंने तो कोर्ट के माध्यम से एफआईआर तक दर्ज कराई है।

हालांकि जब रिपोर्टर ने एफआईआर की कॉपी और उक्त कंपनी की डिटेल, आईडी कार्ड, फोटो, वीडियो बाइट समेत धोखाधड़ी के दस्तावेज मांगे तो उसने बहाना बनाते हुए फोन कट कर दिया। कई बार मैसेज करने के बाद भी कोई उत्तर नहीं दिया गया।

पूरा मामला दिल्ली का, वहीं शिकायत करना चाहिए
सिरोल टीआई गोविंद बगोली का कहना है कि पूरा मामला दिल्ली का है। दिल्ली में ही फरियादी रविंद्र सिंह चौहान ने टोल प्लाजा के सुपरवाइजर के साथ मिलकर अकाउंट खुलवाया था। जो लेनदेन या दूसरा ट्रांजेक्शन हुआ है, वह दिल्ली में हुआ है। दोनों टोल प्लाजा कंपनी में कर्मचारी थे, यहां कोई अपराध नहीं हुआ है। आवेदक को दिल्ली जाकर शिकायत करना चाहिए।

  • विकास रोहरा

    कृष्णा रोहरा माधव नगर केरन लाइन डायमंड स्कूल के पीछे 215 कटनी मध्य प्रदेश मो.नं - 74154 51393

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