
ग्वालियर। मध्य प्रदेश सरकार की पहल से अब केवल पढ़े-लिखे ही नहीं, निरक्षर लोग भी साइबर फ्रॉड से बचने के लिए डिजिटल साक्षर बन रहे हैं। उल्लास नवभारत साक्षरता कार्यक्रम के तहत निरक्षर महिलाओं और पुरुषों को मोबाइल, बैंकिंग, ओटीपी, वित्तीय साक्षरता व साइबर सुरक्षा के गुर सिखाए जा रहे हैं, ताकि वे ठगी का शिकार न बनें।
मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना में शामिल निरक्षर महिलाओं को भी हर माह मिलने वाली राशि सुरक्षित तरीके से खुद निकालने व खर्च करने की जानकारी दी जा रही है। समय-समय पर आयोजित प्रशिक्षण में उन्हें मोबाइल पर मैसेज की पहचान करना, बैंक खाता जानकारियां समझना, बस-ट्रेन टिकट बुकिंग जैसी जरूरी डिजिटल कार्यवाही का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
जिला प्रौढ़ शिक्षा अधिकारी अनुपमा जैन ने बताया कि ग्वालियर में कुल 3.34 लाख लोगों को साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से अब तक 60 हजार निरक्षर लोग साक्षर बन चुके हैं। इसमें 50 प्रतिशत महिलाएं भी शामिल हैं। इस अभियान में स्कूल के शिक्षक और वॉलंटियर सर्वे कर प्रशिक्षण दे रहे हैं। खास बात यह है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को प्राथमिकता दी जा रही है।
विशेष रूप से लाड़ली बहनों की राशि पति निकालकर खर्च न कर सकें, इसके लिए उन्हें बैंकिंग और डिजिटल ट्रांजेक्शन से जुड़ी जानकारी दी जा रही है। ऐसे पति जो तकनीकी बहाना बनाकर महिलाएं झांसा देकर राशि निकाल लेते थे, अब महिलाओं को खुद पूरी जानकारी दी जा रही है ताकि वे खुद अपने पैसे सुरक्षित रखें।
इस अभियान के तहत यूनेस्को की गाइडलाइन का पालन किया जा रहा है, जिसमें बुनियादी साक्षरता, संख्यात्मकता, डिजिटल साक्षरता, वित्तीय साक्षरता, बच्चों की देखभाल और स्वच्छता की जानकारी शामिल है। जून माह में ग्वालियर प्रदेश में पहले स्थान पर भी रहा।
यह प्रयास समाज में डिजिटल जागरूकता बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।