
हमेशा युद्ध जीते। युद्ध में बेशक नहीं हारा।हराने को सभी आए,मगर अब तक नहीं हारा।
यह पंक्तियाँ किसी साधारण नेता पर नहीं,बल्कि कटनी जिले के विजय राघवगढ़ सेपाँच बार के विधायक औरभाजपा के ताकतवर नेता संजय सत्येंद्र पाठक पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं।राजनीति के रण में कई बार उन्हें हराने की कोशिश हुई —कभी पार्टी बदलने पर सवाल उठे,कभी अदालत के दरवाज़े खटखटाए गए,तो कभी आधार कार्ड में पता बदलकर छवि को धूमिल करने की साज़िश हुई।लेकिन पाठक हर बार जनता की दुआओं से निखरकर लौटे।चमकते माथ जिसके,है सदा दुआओं से।कभी दुआ नहीं हारी,कभी भी मैं नहीं हारा।कटनी की जनता का विश्वास,उनकी मेहनत और विकास के कार्यों की चमकआज भी उन्हें मजबूती से सत्ता के मंच पर टिकाए हुए है।चाहे 2008 में पहला चुनाव हो या 2023 का चुनौतीपूर्ण मैदान,पाठक हर बार जीत के साथ लौटे हैं —यही नहीं, मध्य प्रदेश के सबसे संपन्न विधायकों में भी उनका नाम है।उनकी ये जीवन-गाथा बताती है किराजनीति में भी दृढ़ संकल्प, साफ छवि और जनसेवा का रास्ताहमेशा जीत की ओर ले जाता है।